ओलंपिक प्रतीक को लेकर छिड़ी बहस
चीन में जारी शीतकालीन ओलंपिक खेलों की शुरुआत के बीच ही ओलंपिक प्रतीक को लेकर भी सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। ओलंपिक प्रतीक में पांच रिंग्स होते हैं और इनके अलग-अलग रंग होते हैं। ओलंपिक चार्टर के नियम आठ के अनुसार ओलंपिक प्रतीक ओलंपिक मूवमेंट को दिखाता है। यह सभी पांच रिंग्स एक आकार के होते हैं, इसमें ब्लू, येलो, ब्लैक, ग्रीन और रेड शामिल हैं। इसे 1913 में बनाया गया था और सबसे पहले पिअर डे कोबेर्टिन ने इसका डिजाइन किया था। उस समय झंडे के सफेद बैकग्राउंड के साथ इन 5 रंगों को मिलाकर सारे देशों के झंडे को एक कर दिया गया था। कई रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया है कि इसे बनाने वाले ने उस समय हर झंडे के रंगों को इन पांच रंगों में बदल कर एकता के लिए इसे ऐसा आकार और रंग दिया था। 1914 में विश्व युद्ध के कारण ओलंपिक कांग्रेस का आयोजन रद्द कर दिया गया था पर प्रतीक और झंडे को स्वीकार कर लिया गया था और इनका इस्तेमाल पहली बार 1920 में आयोजित बेल्जियम ओलंपिक के दौरान हुआ था।
कुछ साल बाद अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक कमेटी ने इन रिंगों की नई व्याख्या दी और इन रिंगों को 'महाद्वीपों के प्रतीक' के रूप में लिए जाने की बात कही। 1951 से पहले ओलंपिक की आधिकारिक बुकलेट में यह बताया गया था कि नीला यूरोप के, पीला रंग एशिया को, काला अफ्रीका को, हरा ऑस्ट्रेलिया-ओसियाना को और लाल रंग अमेरिका को दिखाता है।