इस्लामाबाद । इमरान खान को पाकिस्तान की सत्ता से बाहर करने के बाद, शहबाज शरीफ की नई सरकार पर भी संकट के बादल छाए हैं। शहबाज सरकार भी अस्थिर होती दिख रही है, क्योंकि राजनीतिक दल जो कभी एक-दूसरे के दुश्मन थे वह अब साथ आए हैं, लेकिन अभी तक मतभेद दिख रहे हैं। मीडिया  रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान सरकार की अस्थिरता के दो प्रमुख कारण हैं। पहला, नई सरकार में कई मंत्री दागी पृष्ठभूमि से हैं और कुछ भ्रष्टाचार और अन्य गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं। जबकि भ्रष्टाचारियों की लिस्ट में खुद शहबाज शरीफ का भी नाम हैं। उन पर धोखाधड़ी और बेईमानी से राष्ट्रीय खजाने को 193 मिलियन पीकेआर का नुकसान करने का आरोप लगा था।
दूसरा मुख्य कारण यह है कि दो प्रमुख गठबंधन सहयोगियों- पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के बीच अंतर्निहित प्रतिद्वंद्विता है। पीपीपी अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने सरकार से बाहर रहने का फैसला किया है, जो दर्शाता है कि पीपीपी पीएमएल-एन के लिए दूसरी भूमिका निभाना पसंद नहीं करेगी। यह टकराव का एक बड़ा कारण हो सकता है, जिससे अस्थिर सरकार बन सकती है।
शहबाज के अलावा, उनके भाई पूर्व पीएम नवाज शरीफ को पनामा पेपर्स मामले में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोग्य ठहराए जाने के बाद प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। वहीं नए वित्त मंत्री मिफ्ता इस्माइल पर 2019 में कतर के साथ 16 बिलियन अमरीकी डालर के तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) आयात अनुबंध में गबन का आरोप लगाया गया था। इसके अलावा, पाकिस्तान के नए आंतरिक मंत्री राणा सनाउल्लाह (पीएमएल-एन) को फरवरी 2021 में एक नशीली दवाओं से संबंधित मामले में एक पाकिस्तानी अदालत ने आरोपी ठहराया था,क्योंकि उसके पास से 15 किलो हेरोइन और हथियार पाए गए थे। पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार शहबाज सरकार के सहयोगी दल पीएमएल-एन और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के बीच कैबिनेट मंत्रियों व विभागों के बंटवारे को लेकर मतभेद चल रहा है। हालांकि पाक पीएम का कहना है कि विभागों का बंटवारा सभी की सहमति से ही किया गया है।